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देख कर मुझे हँसते हैं सभी
उन्हे देख डर लगता है
हँसते हैं इसलिये नहीं
पर यह सोच कर
कि हँसने वाले मेरी पीड़ा पहचानते नहीं !
चाँद अंधेरे में रहता है
डर नहीं लगता उसे ?
पूछूँ तो सब हँसते हैं ।
रात भर अकेला रहता है
उस का साथी क्या कोई नहीं ?
पूछूँ तो सब हँसते हैं ।
सदा आग उगलते सूरज को
ठंडक कहाँ से मिल पाती है ?
पूछूँ तो सब हँसते हैं ।
बिना रुके बहने वाले झरने की
थकान कौन मिटाता है ?
पूछूँ तो सब हँसते हैं ।
हम धरती माँ की गोद में बैठते हैं
पर वह माँ कहाँ बैठती है ?
पूछूँ तो सब हँसते हैं ।
घूमते पहिये पर न चल सकने वाले हम
घूमती धरती पर कैसे दौड़ रहे हैं ?
पूछूँ तो सब हँसते हैं ।
हमे चलाने वाले को
चलाने वाला कौन है ?
पूछूँ
तो ज़ोर ज़ोर से हँसते हैं
एक भी सवाल का जवाब न दे कर
हँसने वालों को देख कर
मैं क्या करूँ ?
बस , मैं भी हँस देती हूँ !
मूल तेलुगु से अनुवाद : आर० शांतासुंदरी