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घर में रमती कवितावां 14 / रामस्वरूप किसान
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म्हनैं -
एक जणौं बोल्यौ-
आंगणैं में
संकड़ेलौ है
माळियौ घालले
छात पर
म्हैं बोल्यौ-
छात ने बूझस्यां।