भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बो अर आपां / शिवराज भारतीय

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:36, 6 दिसम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवराज भारतीय |संग्रह=उजास रा सुपना / शिवराज भा…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


उण रो
रोजीना रो काम
कदै गोळा फोड़ना
तो कदैई
गोळ्यां चलवाणी
आपां रै ई भाई सूं
आपां माथै
अर आपां चुप
उण रो रोजीना रो काम
लाय लगावणी
घरां रा
गेला फंटाणा
अर आपां चुप
कांई ठा
आपां रै रगत री
गरमी निठगी
कै रगत धोळया हुग्यो
अर आपां रो भाई
अतरो किंयां भोळो हुग्यो।