"हम" अउ "तुम" / पढ़ीस
बलिहार भयन हम उयि ब्यरिया,
तुम याक बिलायिति पास किह्यउ।
अभिलाखयि<ref>अभिलाषायें</ref> खुब - खुब पूरि गयीं,
जब याक बिलायिति पास किह्यउ।
बजरा का बिरवा तुम भूल्यउ
का आयि कर्याला तुम पूँछ्यउ,
छगरी<ref>बकरी</ref> का भेड़ी कायसि कह्यउ,
जब याक बिलायिति पास किह्यउ।
अकतही<ref>ग्रामीण पुरूष का वस्त्र विशेष</ref> अँगरखा खोलि धर्यउ,
कुरता अउ धोती छाँड़ि दिह्यउ,
यिहु पहिरि कमर-कटु कोटु चल्यउ,
जब याक बिलायिति पास किह्यउ।
लरिका सब भाजयिं चऊँकि-चउँकि
रपटावयि कुतवा भउँकि भउँकि
तुम अजभुतु रूपु धर्यउ भय्या,
जब याक बिलायिति पास किह्यउ।
बिल्लायि मेहरिया बिलखि-बिलखि
साथ की बँदरिया निरखि-निरखि;
यह गरे माँ हड्डी तुम बाँध्यउ,
जब याक बिलायिति पास किह्यउ।
हम चितयी तुमका मुलुरू-मुलुरू,
मलकिनी निहारयिं भुकुरि-भुकुरि,
तुम मुँहि मा सिरकुटु <ref>सिगरेट</ref> दाबि चल्यउ,
जब याक बिलायिति पास किह्यउ।
तुम कथा म सत्यिनरायन की
बूटयि पहिंदे पूजा कीह्यउ,
सोडा का चन्नामिर्तु किह्यउ,
जब याक बिलायिति पास किह्यउ।