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अंकों का अनुबंध / अरविन्द श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
कभी न खुलने वाले ताले की चाभी
लेकर चला जाऊँगा एक दिन
कई-कई गोपनीयताएँ
हमारे साथ ही दफ़न हो जाएँगी
कितने खाते नम्बर
पिन नम्बर
किस्म-किस्म यूजर-नेम
पासवर्ड कई
अंकों से लबालब मस्तिष्क
फूटेगा भड़ाम से
आग की लपटों में
ख़त्म होगा अंकों का अनुबंध
पंचभूत शरीर के साथ
कई लघुत्तम
महत्तम समावर्त में प्रवेश करेगा
सर्च-इंजन मेंरे चिट्ठे खोलेंगे
ब्लॉगस्पाट मेरी कविताएँ
अंतरजाल पर मैं मुस्कुराऊँगा !