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अंदेसौ / राजू सारसर ‘राज’

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थूं जठै बैठयौ है
चवड़ौ होय’र
देवै मूछयां नै बंट
बो कानी है
सोनळ सिंघासण
बो है
बारूद रो ढिगलौ।
मति इतरा
थारी कागदी समझ माथै
परकिरती सूं
राड़ मति पौ’ळा
उण री सगती रो
थनै थौ-मो है’क नीं
नींतर
ज्ञान बायरौ
विज्ञान
कर नाखैलौ
धरती नैं बांझड़ी
जाबक निपूती !