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अंबर का छाया मेघालय / केदारनाथ अग्रवाल

अंबर का छाया मेघालय
तड़-तड़-तड़-तड़
तड़का टूटा,
रोर-रोर ही
फूटा, फैला
चपला चौंकी-
फिर-फिर चौंकी,
बाहर आकर
चम-चम चमकी,
गदगद-गदगद
गिरा दौंगरा,
पानी-पानी हुआ धरातल,
कल-कल
छल-छल
लहरा आँचल।

रचनाकाल: १९-०९-१९९१