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अकारण / गुलशन मधुर
Kavita Kosh से
अकारण नहीं है
उनका
तुम्हारी आंखों में झांककर
उल्टे पांव लौटना
क्यों तुमने
अपनी आंखों को
दर्पण हो जाने दिया