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अखबार / प्रदीप प्रभात
Kavita Kosh से
अखबार पढ़ै बक्ती
बाबूजी के नजरों मेॅ
अखबार रोॅ उपयोगिता
खाली दुर्घटना लेली
कैहिनेॅ कि
बेटा गेलोॅ छै शहर
सामान लानै लेॅ
काल जे बेटी रोॅ बीहा छेकै।
तखनिये, अखबार रोॅ कोना मेॅ
पड़ै छै नजर
बेटा रोॅ लहास
पड़लोॅ छै सड़कों पर।
दू गाड़ी रेॉ टक्कर मेॅ
गेलोॅ छै अनगिनती जान
हे खुदा!
आय जाय लेॅ लागतै
लहास लानै लेॅ
काल होना छेलै बेटी के बीहा
आरो आय बेटा जे राखलोॅ जैत्तै कब्र मेॅ
अन्तर कुछिवेॅ नै पड़लै
बेटी-बेटा रोॅ विदाय मेॅ।
काल होतियै निकाह बेटी के
आरो आय बेटा रोॅ कब्र मेॅ समर्पण।