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अगर न सँभले दम निकलेगा / अशोक अंजुम
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अगर न सँभले दम निकलेगा!
गुलदस्ते में बम निकलेगा!
राम कहेगा अगर शराबी,
मुँह से उसके ‘रम’ निकलेगा!
अगर खोज होगी क़ातिल की,
वो मेरा हमदम निकलेगा!
नज़र पर्स पर है बीवी की,
वेट सुबह कुछ कम निकलेगा!
हम तो समझ रहे थे नेता,
ख़बर किसे थी ‘यम’ निकलेगा!
न्याय खोजता न्यायालय में,
बच बेट्टे! बेदम निकलेगा!