अच्छे भाग वाला मैं / सुरेश सेन निशांत
अच्छे भाग वाला हूँ मैं
इतना बारूद फटने के बाद भी
खिल रहे हैं फूल
चहचहा रही हैं चिड़ियाँ
बचा है धरती पर हरापन
सौंधी ख़ुशबू
अभी भी नुक्कड़ों पे
खेले जा रहे हैं ऐसे नाटक
कि उड़ जाती है तानाशाह की नींद
बचा है हौंसला
आतताइयों से लड़ने का
इतने खौफ़ के बावजूद भी
गूँगे नहीं हुए हैं लोग
बहुत भागवाला हूँ मैं
बाज़ारवाद के इस शोर में भी
कम नहीं हुआ है भरोसा दोस्त
कवियों का
जीवन पर से
अभी भी
उन लोगों के पास
दूजों का दुख सुनने के लिए
है ढेर सारा वक़्त
अभी भी है
उनके दिल की झोली में
सान्त्वना के मीठे बोल
द्रवित होने के लिए
बचे हैं आँसू
कुंद नहीं हुई है
इस जीवन की धार
बहुत ख़ुशक़िस्मत हूँ मैं
हवा नहीं बँधी है
किसी जाति से
और पानी धर्म से
चिड़िया अभी भी
हिन्दुओं के आँगन से उड़ कर
बैठ जाती है मुसलमानों की अटारी पे
उसकी चहचहाहट में
उसकी ख़ुशियों-भरी भाषा में
कहीं कोई फ़र्क नहीं
अच्छे भागवाला हूँ मैं
अभी भी लिखी जा रही है
अन्धेरे के विरुद्ध कविताएँ
अभी भी
मेरे पड़ोसी देश में
अफ़जल अहमद जैसे रहते हैं कई कवि