अधखुलीं पलकैं, अलक लटकति मंजु,
चंदमुखी निकट, भुजंगिनी भुलानी सी।
मरगजी सारी, अंग-भूषन कँ के कँ,
पीछे संग सोहतिं, सहेलीं अरसानी सी॥
डगै डगमगी, निसि जगी, सब 'सोमनाथ,
झलकैं कपोलनि में, पीक सुखसानी सी।
एडि ऍंगिराति औ जंभाँति, मुसक्याति बाल,
मंद-मंद आवति, पुरंदर की रानी सी॥