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अनुभव / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
गुलाब!
तेरा पयबा लेल
काँटक दंश भोगऽ पड़ैत छैक
ठीक ओहिना
अनुभव!
तोरा पयबा लेल
लोककें
सभ मोड़ पर
जिनगीक अग्निपरीक्षा देबऽ पड़ैत छैक
जन्मसँ मरण धरि।