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अन्तिम गीत / मूसा जलील / भारत यायावर
Kavita Kosh से
यह पृथ्वी —
इतनी बड़ी, इतनी विस्तृत
इतनी प्यारी !
और मेरा क़ैदख़ाना
अन्धेरा और दुर्गन्ध भरा !
बादलों तक उड़ान भरता
आकाश में एक पँछी
और बेड़ियों से जकड़ा
धरती पर लेटा हुआ मैं ।
स्वच्छन्द खिलता है एक फूल
मधुर सुगन्ध फैलाता हुआ
और क़ैदख़ाने में क्लान्त मैं
मेरी सांसें टूटती हुईं ।
जीवन के विजयी आवेग से
मैं परिचित हूँ
जीवन मधुर है — मै जानता हूँ
पर क़ैदख़ाने में घुट-घुटकर मरता
शक्तिहीन
मेरे प्राणों से निकले
ये अन्तिम शब्द
मेरा अन्तिम गीत है !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : भारत यायावर