अब जो सुख मैं पाऊँगा / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
1
कुछ मन पावन होते हैं।
कुछ मन भावन होते हैं
बात तुम्हारी जब होती
नैना सावन होते हैं ।
2
उम्र प्यार की कब होती
तन के भोगी ना जाने हैं।
प्यार वह जो कभी न घटता
सच्चे दिल ही पहचाने हैं।
3
परस तुम्हारा मिल जाए
जब दुनिया से चलना हो
भोर –किरन का छू जाना
तुझे देख जब खिलना हो ।
4
जीवन में कुछ भी मिल जाए
घाटा लगता है
बच्चों के बिन घर-आँगन
सन्नाटा लगता है ।
5
आग द्वेष की जब-जब दहके
घर अपने ही जलते हैं ।
उनका बाल न बाँका होता
जो शोलों पर चलते हैं।
6
प्यार किया मैंने जग भर को, बदले में उपहार मिला ।
खुशबू मिली, चाँदनी मुझको, झोली भर-भर प्यार मिला ॥
जिसने नफ़रत रोज़ उगाई, सींची थी विषबेल सदा ।
केवल काँटे हाथ लगे थे, पछतावा हर बार मिला ।।
7
सुख-दु:ख सारे भोगे मैंने
अब जो सुख मैं पाऊँगा ।
सच कहता हूँ –जाते-जाते
तुझको सब दे जाऊँगा ।