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अब नहीं लाते कबूतर / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
अब नहीं लाते कबूतर
उनका सन्देश
कई - कई दिनों की
प्रतीक्षा के बाद
डाकिया लाता नहीं
प्रेम पत्र
ई मेल किया जाता
कई - कई बार
भेजे जाते हैं
ई कार्ड
और मोबाइल पर
एस. एम. एस
कम्प्यूटर की गति से
होता है प्रेम
कोई कहाँ करता है
प्रतीक्षा
भूल चुके हैं हम अब
प्रतीक्षा का सुख