अमर तिरंगा फहर रहल हे / राम सिंहासन सिंह
ई धरती के अंगना में अब विजय तिरंगा लहर रहल हे।
विस्वयान के मानचित्र पर अमर तिरंगा फहर रहल हे।।
सांति धरम के अमर पताखा
फहर रहल हे ई धरती पर
भारत माँ के मान के रछा
गूँज रहल हे ई धरती पर
परम पुनित पावन यह झंडा भारत माँ के सान हे
भरल-पुरल हे त्याग-तपस्या ई धरती के मान हे
बलिदानी के अमर ज्योति घर-घर में दीप्त रहल हे
ई धरती के अंगना में अब विजय तिरंगा लहर रहल हे।
फूँक रहल हे सँखनाद
अब केसरिया ताकत के
बल वैभव आऊ पराक्रम
नीज भूज बिसाल साहस के
सच्चा धर्म नीति के गाथा गूंज रहल हे सादा में
सरल-सहिष्नुता सहज भाव अब दीख रहल सादा में
प्रेमराग के अमर वंसी जन-जन में फँूक रहल हे
ई धरती के अंगना में अब विजय तिरंगा लहर रहल हे।
हरा रंग के हरित क्रांति
के गूँज रहल हे लाली
पीले-पीले सरसो आऊ
धान जौ-गेहूँ के बाली
हरियाली के भाव जगावे यही वही झंडा हे
भारत माँ के सान बढ़ावे यही वही झंडा हे
राष्ट्र के अमर-ज्योति घर-घर में साज रहल हे
ई धरती के अंगना में अब विजय तिरंगा लहर रहल हे।
विजयी गीत के बीच चक्र
हरदम ई भाव भरईत हे
हम न रुकब कभी यहाँ पर
यही साज सजईत हे
चन्द्रसेखर आऊ वीर भारत के गावे यही कहानी
भारत माँ के बलिदानों की सबसे बड़ी निसानी
विस्व एकता के अमर गीत रग-रग में लहर रहल हे
ई धरती के अंगना में अब विजय तिरंगा लहर रहल हे।