अरे मटुकिया कन्नैं जाय छै / छोटे लाल मंडल
अरे मटुकिया कन्नें जाय छै
जंगले जंगले भटकै छै,
तन मन असथिर नै छै तोरो
की तोंय सोचै विचारै छै
की कहियों भाय पेंचमारी के
माथा में पगड़ी वान्धै छेलां,
की मस्ती में घुमै फिरै छेलां,
जुल्फों में गहमकौड़ा तेल लगावै छेलां।
यम्मों के दूतवां पकड़ै ले चाहै,
हम्में भागै छी कोना कोना,
दोस्ती में कुस्ती भय्यै गेलै
उ वरियौं हम कमजोर छेलां।
तोड़तों टांग पछारतौ देही
मुड़ी मचोरतें ऐठी के,
माय वापस रिरयावौ तखनी
दरद ऐड़ी से चोटी तक।
वालापन सें अखनी तांयतक,
घुमै फिरै छेलौ साथें साथ,
अैइलौ समैया घेरी लेलकौ,
आवे करै छौ घातें घात।
आवे तोरा ते जावै ले पड़तौ
नैते एक्को वहाना चलतौं,
नोटिश देलकौ कत्तेवार,
तोंय नै करलौ अपनों संभार।
कालें केकरौनै छोड़ै छै
ढुकी ढुकी चोंच गड़ावै छै
धरम करम के वात विसारी के
घोर नरक ले जावै छै।