भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अर्थ / रामदरश मिश्र

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अर्थ केवल शब्द में ही नहीं होता
मन में भी होता है
दोनों मेरे अत्यंत प्रिय थे
एक को कहा-‘बावला’
उसे लगा कितना अपनापन है इस शब्द में
और उसमें खुशी महमहा उठी
दूसरे को भी कहा ‘बावला’
वह तिलमिला उठा
उसे लगा कि उसे सचमुच पागल कहा जा रहा है
जबकि वह बेहद सयाना है
वह मेरे विरुद्ध
न जाने क्या क्या कहने लगा
और उसका हर शब्द मेरी हँसी बनता गया।
-16.2.2015