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अर्थ खो देते हैं / संगीता गुप्ता
Kavita Kosh से
अर्थ खो देते हैं
लगातार
घिस - घिस कर
शब्द
खोटे सिक्के हों जैसे
मां के गर्भ में
सृजन की वेदना से गुजर कर
नये अर्थ पाते हैं
शब्द