भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अलविदा / गौरव गुप्ता
Kavita Kosh से
जब भी
अलविदा लिखने के लिए लिखा 'अ'
हाथ काँपने लगें
"अ" के अकेलेपन को हर बार बदलकर "आ" किया
और पूरा किया वाक्य "आ जाओ"
पर
तुम कभी नहीं आयी
और
मैं कभी नहीं लिख सका अलविदा।