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अविनय अनुनय कोई / पंकज सिंह
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एक दृश्य ओझल हो गया जिसमें मेरा बेटा था
एक दृश्य गुम हो गया जिसमें मेरी माँ थी
कितनी अक्षौहिणी सेनाएं लिए आते हो जीवन
कितना रक्त चाहिए
कितना रक्त
एक आदमी से
होने दो उसे उतना-सा वह
कम से कम
जो उसे होना
(ही)
है ।
(रचनाकाल : 1980)