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अहसास / नीरज दइया
Kavita Kosh से
मैं अकेला था
नहीं था कोई साथ
अगर था भी कहीं कोई
इस जन्म, या उस जन्म में
तो नहीं है अब मुझे
उसका अहसास।
आज जब पाया है
साथ तुम्हारा
तुम्हारे होने का अहसास
प्रेम का प्रकाश
अब तुम साथ हो या नहीं
पर मैं अकेला नहीं।