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अेक सौ अड़तीस / प्रमोद कुमार शर्मा
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अवस्थान है थारो
म्हारै थान मांय
देई-देवतां बिचाळै बिराजो आप
म्हैं दीन हूं, धन निवाजो आप
सबद बण'र आवो
आडी समै री अरथावो
भाखा है सतबिहूणी
सत नैं सिराजो आप।