आइ टेस्ट / शम्भुनाथ मिश्र
पहुँचलाह क्लीनिकपर बूधन आँखि देखाबक लेल
डाक्टर साहेब चश्मा चाही पुस्तक पढ़बा लेल
डॉक्टर पुछलनि कहल जाय अपनेकेँ की अछि कष्ट
कोनहुँ बात नुकाबी नहि बाजू सबटा सुस्पष्ट
बजला बूधन की बाजू हम सुनि अपनेकेर नाम
अयलहुँ आश पुरत तँ फीसक संगहि देब इनाम
डॉक्टर सोचथि आँखि लगै छनि जनु कमलक उपमान
कखनहुँ लगलनि दुनू नेत्र जनु हरिणक आँखि समान
पुनि पुछलनि की आँखि नोराइछ किंवा होइछ दर्द
बेसी पढ़ने केहन बुझाइछ माथ गर्म वा सर्द
झलफलाय वा कडुआइत अछि किंवा मारय टीस
मुननहि लागय नीक दूनू पट वा तकने चहुदीस
दूरक वस्तु सहज लगइत अछि किंवा लगइछ निकटक
मिलमिलबयमे नीक लगै अछि वा तकबामे टकटक
हड़बड़मे सब गड़बड़ होइछ तड़फड़मे नहि बाजू
किछु जाँचब कम्प्यूटरसँ हम तेँ एहिठाम बिराजू
कम्प्यूटरकेर बाद पुनः बजला देखू ओ दर्पण
सहृदयतासँ देखल सबकेँ सेवा संग समर्पण
सबसँ पहिने ऊपर देखू क्रमशः नीचाँ आउ
जोन न कनियो दियौ आँखिपर आ नहि मनहि घबराउ
बूधन बजला अपने ऊपर नीचाँ नहि टहलाउ
सब पुस्तक पढ़ि सकी जोरसँ से चश्मा पहिराउ
अपने भेलहुँ बहेड़ा, सटले हमर गाम शिवराम
एही माटि-पानिकेर हमहूँ हमर ग्राम डखराम
आँखि जाँचि हम चश्मा पावर पुर्जापर लिखि देब
भोर-साँझ बस एक बुन्द कऽ ड्रॉपर अपने लेब
मास पुरैत-पुरैत सकल दुख होयत अपने पार
मानव सेवा प्रथम धर्म थिक नहि बूझल व्यापार
धर्म अधर्मक बात न कोनो अक्षर छी न चिन्हैत
चश्माकेर प्रतापेँ देखय सब धुरझार पढ़ैत
बिना पहिरनहि सबटा देखी देखबामे नहि कष्ट
जे जे कहब करब हम सबटा डाक्टर अपने फस्ट
पढ़ि हम सकी, कोना से होयतै तकर जोगाड़ लगाउ
चश्मा तँ देलक बहुतो क्यौ राखल छैक धराउ
हाथ जोड़ि बजला डॉक्टर जे धन्य थिकहुँ सरकार
एते परिश्रम कयल अहाँपर सबटा भेल बेकार
एखनहुँ धरि छी एहन निरक्षर भान न कनियो भेल
बूझि न सकलहुँ हम छी पहिने अहाँ एहन बकलेल
एखनहुँ धरि छी अहाँ निरक्षर, राष्ट्रक थिक अपमान
होयत शत प्रतिशत साक्षरता बढ़त देशकेर मान