भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आओ लिखां / प्रमोद कुमार शर्मा
Kavita Kosh से
आओ
आपां लिखां
कागद उपर
सिरसूं रा पीळा फूल
बरसात री गपड़चौथ
अर
किरसान रौ उदास चै‘रौ !
देखां
कै कठैई
बरसात अर तेलियै‘री
आपस मांय
सांठ-गांठ तो नीं है !