भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आओ साथ बढ़ें / एन. सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुकान हमारी भी है
और तुम्हारी भी
ये बात और है कि
हमारी दूकान पर बिकता है
जूता
और तुम्हारी दुकान पर
रामनामी
हमारे लिए जूते का महत्त्व
वही है
तुम्हारे लिए जो है रामनामी का
आओ समानता का
ये तार पकड़ें
एकता के सूत्र गढ़ें
साथ बढ़ें!