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आखिरी मैदान / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर
Kavita Kosh से
लगभग युद्ध क्षेत्र जैसा दिखाई देता है
खेल का मैदान इस वक़्त
पच्चीसों टीमें
एक साथ खेलती हैं क्रिकेट
सारे स्टंप्स बहुत पास-पास गड़े हुए
पहचानना मुश्किल
कौन-सी गेंद किसके बल्ले से छूटी
कौन-सा कैच कौन लपके
वह बाउंड्री की ओर जाती गेंद
रोकें या नहीं
बहुत गफ़लत और माथापच्ची यहाँ
मगर क्या किया जाये
शहर में अब यही एकमात्र मैदान बाक़ी
कुछ दिनों बाद
यहाँ भी
एक बहुमंज़िला कॉम्प्लेक्स बन जाएगा
खुल जाएगा भव्य बाज़ार
और दफ़न हो जाएंगे खेल
खुली हवा और गेंद को पुकारता आकाश
लिफ़्ट चढ़कर बच्चे
जाएंगे किसी मंज़िल पर
उनके हाथों में होगा रिमोट
वे मशीनों के साथ खेल रहे होंगे
क्रिकेट