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आज उल्टा हो गइल जमाना / विनय राय ‘बबुरंग’

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होली होखे चाहे
केवनो तिहुवार
अब ऊ तिहुवार
ना रहि गइल
जेवना तिहुवार क दिन
बाबू साहब लोगन क
घर-घर में
कठवत क कठवत
परात क परात
पुआ पकवान
बनत रहे
आ छोट भइयन क
मेहरारू-लइका-छेहर
घूमि-घूमि कि
पुआ-पकवान जेवन कुछ
मिलत रहे
ओक खुसी-खुसी लेके
दू चार दिन तक
खूब खात पियत
आ मउज लेत रहे
आ मन ही मन खूब
आसीरबाद देत रहे
खूब बनल रहऽ मलकाइन
नया घर पुरान खा, ए चथुराइन!
ओतने खेतन में
बिना हरें फिटिकरी क
यानी बिना खाद पानी क
भरपूर अनाज वगैरह
पैदा होत रहे।

चाहे बाबू साहेब होखंऽ
चाहे चरवाह हरवाह होखंऽ
सभके कहीं ना त कहीं से
एकता क सूत्र मिलत रहे
कइसे मिल के जियल जाई
भाई-चारा अस नजारा
देखे के मिलत रहे
इहे कूल मिलजुल के
पैदा होत रहे
अइसहीं कुल गांवन में
बाप दादा क धरोहर
संइचल सुद्ध संस्कार
फुलत आ फलत रहे
बाह रे ऊ जमाना!
जेवन आखिन से
कोसन दूर हो गइल
खाली सपना भर
रहि गइल
जेवन घाट पर
बाघ आ बकरी
एक घाट पर
पानी पियत रहे
अइसे लोग क जिनिगी
सुख आ दुख
से जियत रहे।
आज ठीक एकरा उल्टा
हो गइल जमाना
आजु मोछ अइँठ के
ई मत कहीं कि
हम हुईं मरदाना
अगर कवि उठाई कलम
त कुछ लिखबे करी
केहू ना केहू क
चीत करबे करी
अगर कवि डेरा जाई
त समाज क
सांच बाति ना लिखा पाई
सांच का ह
ई माटी में दबा जाई
ना समझाई-लिखाई आ सजग कराई
त लोगन क जिनिगी
राह चलत
बेमउवत मार दिहल जाई
जइसेकि आजु हो रहल बा,
उग्रबादी आजु
ए के सैंतालिस लेके
हर जगह हर मोड़ पर
सीधे आके चला हरल बा-
अइसे आतंकी आपन
धीर-धीरे घुस के
पांव जमा रहल बा
कहे क मतलब कि
बिना मोछ क आजु
मरद कइसन
अगर मोछहोइत
त इहे कुल होइत
एहर उग्रबादी घर-घर में
आपन बीज बोइत?
मोछ मरद क सान है
दू गज गमछा क जगह
रूमाल लेके चलल
मेहरमाउग क निसान ह
आपन मोछ के पत्ती से
जनि खउरऽ
ए पवित्र गंगा-जमुनी संस्कृति के
 उग्रबादी के हाथ
जनि हउड़े दऽ
नाहीं त
संसार आ संस्कार
ई दूनो मर जाई।


अलगू चौधरी
जुम्मन सेख क
सामाजिक इतिहास
जहाँ उग्रवादी आजु
रोज गिरा रहल बा
लास पर लास
का ए गैंगवारन क
हो रहल बा नास?
हर गैंगवारन क बास
या त जेहल में
गैंगवार क अउरी
आदमी कहवां
मंत्री जी क टेंट में
उल्टे चोर कोतवाल के डांटे
आ सभका हीत में
समाजबाद बांटे
जनता क आखिन में
सीधे धूर झोंक रहल बा
इहे ओकर नीति
रहल बा
ओकर का भरोसा
आ जनता चट्टी पर
खा के चाय समोसा
बेकार बहस कर रहल बा-
‘आज नाहीं त काल
धरा जाई गैंगवार’
धराते रहि गइल
अखबार क कालम पर
सभकर निगाह दउरते
रहि गइल
केतन दिन बीत गइल
अंगुरी पर गीनत
सुक सनिच अतवार
एकरा खातिर केतने
जरि गइल
टिसन मोटर कार
अब देखीं
कहिया ले
इ न्याय सफल होई
जेवन लड़ाई चला रहल बा
आर-पार
अब ऊ जमाना कहिया ले आई
कि दूध क दूध
आ पानी क पानी क दे
कातिल के सजा दिला दे
कब बही नदियन में
खून क जगह पर
फिर दूध क धार
कब लागी जिनगी क
सभकर नइया पार
हे भाई
हे सरकार
हे सीबीआई
अब फैसला बा
तोहरे पर
सभकर नजर तोहरे पर
पांव लागी।।