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आज भी देखा / सुरेन्द्र डी सोनी
Kavita Kosh से
बहुत-से तूफ़ानों को
देखा मैंने
तोड़ते हुए दम
क़लम की नोक पर
आज भी देखा
एक तूफ़ान
मरा पड़ा धरती पर
काग़ज़ बन गया
क़फ़न जिसका..!