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आज म्हारौ बाळपणौ छूट गियौ / अर्जुनदेव चारण
Kavita Kosh से
आज
घर अबोलौ ऊभौ है मां
नीं बधियौ
लेवण नै
सांम्ही आंगणौ
नीं लिया
रसोई
म्हारा अवरणा
आज हाथ नीं हौ
माथै पे छीणां ही
आज
म्हारौ बाळपणौ छूट गियौ