आत्मन् का देखना विचित्र होता था
वह दृश्य को देखता हुआ सुनता-गुनता था
उसकी आँखें नशे से भर जाती थीं
फिर किसी क्षण अचानक
बदहवास चीख़ता हुआ कहता था-
वो देखा !!
आत्मन् का देखना विचित्र होता था
वह दृश्य को देखता हुआ सुनता-गुनता था
उसकी आँखें नशे से भर जाती थीं
फिर किसी क्षण अचानक
बदहवास चीख़ता हुआ कहता था-
वो देखा !!