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आदमी / राजू सारसर ‘राज’
Kavita Kosh से
कठै’ई हाथ
कठै’ई आंख
कठै’ई पग
कठै’ई दिमाग
होंवतां थकां ई
ऐकल दीखै है
आज रो
खिंडण मिंडण आदमी।