ले चलो, महाकान्तार में ।
अँकों से ऊब गया हूँ ।
घूरते प्रश्नों की हंसी में डूब गया हूँ ।
खींचो मुझे, ले चलो —
हरियाली पीकर लौट आऊँगा ।
(14 दिसम्बर 1964)
ले चलो, महाकान्तार में ।
अँकों से ऊब गया हूँ ।
घूरते प्रश्नों की हंसी में डूब गया हूँ ।
खींचो मुझे, ले चलो —
हरियाली पीकर लौट आऊँगा ।
(14 दिसम्बर 1964)