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आपसे रूठ कर हम किधर जायेंगे / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
आपसे रूठ कर हम किधर जायेंगे
बिन मिले आपसे हम तो मर जायेंगे
फूल खुशबू लिये खिल रहे डाल पर
एक दिन खिल के यूँ ही बिखर जायेंगे
जा रहे बज़्म से हैं हमारी अगर
ये बता दीजिये अब किधर जायेंगे
मुश्किलें आ पड़ीं तो न घबराइये
दिन परेशानियों के गुज़र जायेंगे
बीच मझधार में डोलतीं कश्तियाँ
नाम ले कर ख़ुदा का उबर जायेंगे
आप तो फेर कर मुँह चले जा रहे
याद पीछा करेगी जिधर जायेंगे
इक नज़र डाल लीजे इधर आप तो
भाग्य बिगड़े हमारे सँवर जायेंगे