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आब और विआ / शीन काफ़ निज़ाम
Kavita Kosh से
पहाड़ी झरने के पास
सूख रहे हैं
कपड़े, असा<ref>सहारे के लिए हाथ में ली गई लकड़ी</ref> पर
विआ<ref>बर्तन</ref> में भरा है
आब
मछली जिसमें तैरती है
शब्दार्थ
<references/>