Last modified on 9 मई 2011, at 04:51

आभो थिर है / नीरज दइया

सूरज
सत-बायरो
चढै आभै, जोर सूं।

चढ्यां उतरणो पड़ै
भळै चढै
पाछो उतरै।

बपरांवतो रैवै सरधा!

आभो थिर है
भरै बांथां मांय स्सौ कीं
कोई कीं करो
आभै नै नीं है
इण री गिनार।