भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आभो थिर है / नीरज दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।

सूरज
सत-बायरो
चढै आभै, जोर सूं।

चढ्यां उतरणो पड़ै
भळै चढै
पाछो उतरै।

बपरांवतो रैवै सरधा!

आभो थिर है
भरै बांथां मांय स्सौ कीं
कोई कीं करो
आभै नै नीं है
इण री गिनार।