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आम-आदमी / हरीश बी० शर्मा
Kavita Kosh से
जिको नीं जाणै
मांयली बातां
गांव री बेळू नैं सोनो
अर पोखरां में चांदी बतावो।
सन् सैतांळीस रै बाद हुआ
सुधार गिणावै
नूंवै सूरज री अडीक राखै
अर अंधारौ ढोवै।
छापै में छपी खबरां
पढ़ै अर चमकै
बो आम-आदमी है।