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आम के पेड़ / नील कमल
Kavita Kosh से
दो पेड़
आम के,
एक बौराया
दूसरा उदास गुमसुम
अगले मौसम में
इसका उलट भी
हो सकता है, कौन जाने
मौसम
एक-सा
नहीं रहता,
क्या आप कह
सकते हैं कि इसमें
साज़िश नहीं किसी तीसरे की
पेड़ों को
पहचानते हैं
उन्हें प्यार करने वाले
उनकी हरी पत्तियों से भी
अपने
काठ से भी
पहचाने जाते हैं पेड़
आरी से चीरे जाने पर,
यहाँ तक कि पेड़ की
छाल भी एक मुकम्मल
पहचान हुआ करती है
सिर्फ़ फूलों-फलों से
नहीं पहचाने जाते हैं पेड़
याद रखिए
जो बौराया नहीं अबकी साल
वह भी है आख़िरकार
आम का ही पेड़
वह भी देता रहा है
मीठे रसीले आम
पिछली गर्मियों तक ।