आल्हा ऊदल / भाग 8 / भोजपुरी
भोग चढ़ाइब अदमी के देबी अरजी मानव् हमार
एतनी बोली देबी सुन गैली देबी जरि के भैली अँगार
तब मुँह देबी बोलली बबुआ सुनीं रुदल महराज
बेर बेर बरजों बघ रुदल के लरिका कहल नव् मनलव् मोर
मरिया राजा नैना गढ़ के नैंनाँ पड़े इन्दरमन बीर
बावन गुरगुज के किल्ला है जिन्ह के तिरपन लाख बजार
बावन थाना नैना गढ़ में जिन्ह के रकबा सरग पताल
बावन दुलहा के सिर मौरी दहवौलक गुरैया घाट
मारल जैबव् बाबू रुदल नाहक जैहें प्रान तोहार
पिण्डा पानी के ना बचबव् हो जैबव् बन्स उजार
एतनी बोली रुदल सुन गैल तरवा से लहरल आग
पकड़ल झोंटा है देबी के धरतो पर देल गिराय
आँखि सनीचर है रुदल के बाबू देखत काल समान
दूचर थप्पर दूचर मुक्का देबी के देल लगाय
लै के दाबल ठेहुना तर देबी राम राम चिचियाय
रोए देबी फुलवारी मैं रुदल जियरा छोड़व् हमार
भेंट कराइब हम सोनवा सें
एतनी बोली रुदल सुन के रुदल बड़ मंगन होय जाय
प्रान छोड़ि देल जब देबी के देबी जीव ले चलल पराय
भागल भागल देबी चल गैल इन्द्रासन में पहुँचल जाय
पाँचों पण्डु इन्द्रासन में जहवाँ देबी गैल बनाय