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आसमान में / उषा यादव

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चिड़ियाँ उड़तीं आसमान में।
तोते उड़ते आसमान में।
मम्मी, कितने सारे पक्षी,
दिन-भर उड़ते आसमान में।

उन सबके उड़ने की फर-फर,
ध्वनि पर देऊँ अगर ध्यान मैं।
कितनी ही कोशिश कर लूँ, पर
स्वर वह आता नहीं कान में।

लेकिन वायुयान जब उड़ता,
ऊँचे-नीले आसमान में।
घड़-घड़ की आवाजों का क्यों,
पड़ने लगता शोर कान में।

यही अनोखा उड़ता है क्या,
ऊँचे –नीले आसमान में।
धमकाता होगा जरूर ही,
यह चिड़ियों को आसमान में।