इंजील / रीटा डाव / अनिल जनविजय
इतना नीचे झूलो कि मैं
गुनगुनाते हुए
आवाज़ों के उस जहाज़
के अन्दर क़दम रख सकूँ
जो है सबसे बड़ा ।
ग़लतियाँ की गईं
उन लोगों ने की थीं
पर इस सदाशयता की
कोई आवाज़ विफल नहीं होगी —
तुम आनन्द पर सवार रहो तब तक
जब तक किसी अण्डे की तरह न फूट जाए सुख
दुख को उबलने और फुसफुसाने दो
जब तक कि वो सर्द आवाज़ में चीख़ने न लगे
पशुओं की तरह दुर्गति के किले से
ऊँची आवाज़ में अपने बलिदान से रोमांचित
मैं देख रही हूँ कि वो
फ़रियाद कर रहा है
शून्य आकाश की ओर हाथ उठाकर
वायदा कर रहा है कि वो रहेगा
उसके मन्द्र स्वरों और
उसके पानीदार बालों की गहराई में डूबकर
मुझे घर ले चलो
वह उसे फुसलाती है
और अपनी गहरी काट की
अंगिया की एक किनारी को नीचे सरकाती है ।
लेकिन वह
भगवान के बनाए इस जाल से फिसल जाता है
और लड़खड़ाते हुए स्वर्ग की अंगिया की ओर तैर जाता है।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Rita Dove
Gospel
Swing low so l
Can step inside a humming
Ship of voices
Big with all
The wrongs done
Done them
No sound this generous
Could fail:
Ride joy until
It cracks like an egg,
Make sorrow seethe and whisper
From a fortress
Of animal misery
Soars the chill voice
Of the tenor,enraptured
With sacrifice
What do I see he complains notes
brightly rising towards a sky blank with promise
yet how healthy the single contralto
settling deeper into her watery furs!
Carry me Home
She cagols bearing down
candela bras brim.
But he slips through god’s net
and swims heaven ward warbling