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इज़्ज़तपुरम्-32 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
पिता की दवा
भाइयों की फीस
मेरी फटी लुगरी
सबको दरकिनार कर
सज गयी
स्वच्छन्दचारिणी
पर निकल आया
बेच दी लोकलाज
खंजर उतर गये
कटूक्तियों के
एक साथ
कई उसके
कोमल लघु
प्राण में