♦ रचनाकार: अज्ञात
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हमारो हो, इतनो करि काम हमारो - २
कान-सराई और गिंजाई की बारी बनवा देना
मगरमच्छ का हँसला झूमै, चंद्रमा जड़वा देना
काँतर की मोइ नथ गढ़वाय दै, जामे लटकै बिच्छू कारो हो
इतनो करि काम हमारो
अंबर की मोइ फरिया लाय दै, बिजुरी कोर धरा देना
जितने तारे हैं अंबर में, उतने नग जड़वा देना
धरती को पट करों घाघरो, शेषनाग को नारो हो
इतनो करि काम हमारो
छत के ऊपर अट्टे के नीचे, चौमहला बनवा देना
बिन पाटी और बिन सेरये के, पचरंग पलँग नवा देना
दिन में जापै बूढ़ो सोवै, राति कों है जाइ बारो हो
इतनो करि काम हमारो