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इतिहास नहीं हैं ये / नीरजा हेमेन्द्र

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सुनसान पड़ा विरान मैदान
तपिश में झुलस उठीं नन्ही दूब
शेश नहीं कुछ भी
अस्तित्व विहीन तो नहीं हैं
ये नन्हीं दूब
कालातीत भी नहीं हैं ये...
भूमि पर विचरते
अनेक जीवों का
पोशण करते हुए भी इन्हांेने
अपने अस्तित्व को बचा कर
रख लिया है
भूत से वर्तमान तक सृजित कर
सभ्यतायें व गौरवमयी इतिहास
ये नहीं बन सकी इतिहास
काल के पन्नों पर अंकित कर
अक्षुण्ण पद चिन्हों को
विपरीत ऋतुओं में भी बचा कर
रख लिया है
आने वाली पीढ़ियों के लिए
कुछ हरी कोंपलें
अनुकूल ऋतुओं का परावर्तन
बारिश की प्रथम फुहार
विरान मैंदान में उग आयी हैं
पुनः नन्ही-नन्ही दूब
सुदृढ़ जड़ों के साथ...