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इन्तज़ार / बसंत त्रिपाठी
Kavita Kosh से
चौराहे पर खड़ा रिक्शा
इंतजार करता रह गया
सिटी बस सर्विस ने
यही तोहफा दिया है उसे
धीमे-धीमे
अपनी ही मौत का इंतजार