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इशक अव्वल दा / बुल्ले शाह
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नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा।
अव्वल दा रोज़ अज़ल<ref>पहले दिन का</ref> दा।
विच्च कड़ाही तल तल जावे,
तलेआँ नूँ चा तलदा।
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा।
मोएआँ नूँ एह वल वल मारे,
दलिआँ नूँ चा दलदा।
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा।
क्या जाणा कोई चिणग पई है,
नित्त सूल कलेजे सल्ल दा।
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा।
तीर इशक दा लग्गा जिगर विच्च,
हिलाएआँ वी नहीं हलदा।
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा।
बुल्ला सहु दा नेहुँ अनोखा,
रलाएआँ भी नहीं रलदा।
नी मैनूँ लगड़ा इशक अव्वल दा।
शब्दार्थ
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