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इसकूल / मथुरा प्रसाद 'नवीन'
Kavita Kosh से
यह देखो इसकूल,
जहाँ बेंच हो न टूल
भारी भरकम भरदार
ई हथुन
शिक्षक के सरदार,
इनका हर महीना चाही
महवारी पूजा
ई सब खा रहलो हे
ऊपर के अनार
तर के तरबूजा