अब कुछ नहीं
मेरे पास।
दोस्त, दुश्मन, भाई-बहन,
औरतें और काम-धन्धे,
सब छूट गए हैं पीछे।
मैं साधु
पर लौट-लौट आता हूँ
इसी पुराने घर को।
माँ!
लो, आ गया है
तुम्हारा भुक्खड़ बेटा!
पिता,
फिर काम नहीं आई
तुम्हारी सज़ा —
मैं ख़ाली हाथ लौटा हूँ।
अब कुछ नहीं मेरे पास।