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ईश्वर-अल्लाह / कुंदन अमिताभ
Kavita Kosh से
मंदिर मस्जिद में अँटे छै कहाँ
धरम केरऽ खाना में बँटै छै कहाँ।
वू तेॅ सगरे ऐन्जाँ-वैन्जाँ-जैन्जाँ-तैन्जाँ
कोनो एक्के जग्घऽ पेॅ डटै छै कहाँ।
बस्ती में लागलऽ आगिन सें उठलै धुइयाँ
नै पता मरतै वू आय कहाँ-कहाँ।
सपना सब मरी गेलै होय केॅ लहुलुहान
मस्जिद अजान मंदिर भजन भुतलैलै कहाँ।
मानवता के मरण के छौ जों भारी चिन्ता
बस्ती सें दूर ओकरा हकाबै छहो कहाँ।